अस्थि सुषिरता का आयुर्वेदिक उपचार
भैषज्य रत्नावली में अस्थि भंग उपचार हेतु एक योग निम्नलिखित है –
अश्वगन्धा चूर्ण 12 ग्राम, अर्जुन त्वक् चूर्ण 12 ग्राम, अस्थिसंहार(हडजोड) चूर्ण 12 ग्राम, लाक्षा चूर्ण 12 ग्राम तथा नागबला चूर्ण 12 ग्राम। 60 ग्राम सुनहरे रंग की गुग्गुल लेकर उसका दशमूल क्वाथ में शोधन किया। शोधन विधि इस प्रकार है – दशमूल मिश्रण 100 ग्राम को रात भर पानी में भिगो देते हैं तथा सवेरे उसे कुछ देर उबाल कर क्वाथ बना लेते हैं। ठोस भाग को निकाल कर फेंक देते हैं। गूगल को एक महीन कपडे में पोटली बांध कर इस क्वाथ में लटका देते हैं और क्वाथ को तब तक उबालते हैं जब तक पोटली का गूगल लगभग सारा क्वाथ में न घुल जाए। अब इस घोल में उपरोक्त पांचों चूर्णों को मिला देते हैं और तेज धूप में सुखा लेते हैं। इस योग में बबूल त्वक् चूर्ण भी अतिरिक्त मिलाया जा सकता है। इंटरनेट पर आजकल horsetail नामक ओषधि का बहुत प्रचार हो रहा है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इस ओषधि में विद्यमान कैल्शियम का शरीर में अवशोषण इसलिए हो जाता है क्योंकि इसमें सिलिका विद्यमान है। यही स्थिति बबूल की भी हो सकती है क्योंकि कहा जाता है कि कांटों की उत्पत्ति का कारण सिलिका होता है। उपरोक्त योग की आधा से एक ग्राम मात्रा दुग्ध के साथ ली जा सकती है। इस योग के घटक क्या – क्या विशिष्ट कार्य करते हैं, यह मोटे रूप में अभी अज्ञात ही है।