पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (From Tunnavaaya to Daaruka ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar)
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Puraanic contexts of words like Dashami/tenth day, Dasharatha, Dashaarna, Dashaashvamedha, Daana/donation etc. are given here. दशरथ गणेश २.२८.११ (पुत्रार्थ तप करते समय दशरथ द्वारा विनायक की वरद नामक मूर्ति स्थापित करने का उल्लेख), पद्म ६.३३ (दशरथ द्वारा रोहिणी शकट के भेदन को उद्धत शनि का वर्जन, शनि - स्तोत्र), ६.१०७.२३(विष्णु दूतों का धर्मदत्त को सूर्यवंशी दशरथ होने का वर प्रदान), ब्रह्म २.५३(असुरों से युद्ध में दशरथ द्वारा देवों की सहायता, श्रवण कुमार वध से ब्रह्महत्या की प्राप्ति, नरक गमन, राम द्वारा गौतमी स्नान से दशरथ की नरक से मुक्ति), ब्रह्माण्ड २.३.३७.३१(राम - पिता के रूप में दशरथ का उल्लेख), २.३.६३.१८४(रघु - पुत्र, राम आदि के पिता), २.३.७०.४३(नवरथ - पुत्र, एकादशरथ - पिता), ३.४.४०.८८(अयोध्याधिपति, सन्तान प्राप्ति हेतु वसिष्ठ मुनि से परामर्श, कामाक्षी देवी का पूजन, देवी - कृपा से पुत्र प्राप्ति का वर्णन), भविष्य ४.८३.९५(धरणी व्रत के अनुष्ठान से पुत्रहीन राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति का कथन), भागवत ९.९.४१(मूलक - पुत्र, ऐडविड - पिता), ९.२४.४(नवरथ - पुत्र, शकुनि - पिता), मत्स्य ४८.९४(सत्यरथ - पुत्र, अपर नाम लोमपाद, चतुरङ्ग व शान्ता - पिता ; तुलनीय : वायु ९९.१०३/२.३७.१०३ में धर्मरथ - पुत्र चित्ररथ/लोमपाद), २७२.२५( मौर्य वंश का एक राजा, शक - पुत्र), वराह ३६.७(सत्ययुगीन कान्त नामक राजा की त्रेता युग में दशरथ नाम से प्रसिद्धि), ४५.६(पुत्रहीन दशरथ द्वारा पुत्र प्राप्ति की कामना से रामद्वादशी व्रत का अनुष्ठान, राम रूप में पुत्र की प्राप्ति), वायु ९५.४२/२.३३.४२(नवरथ - पुत्र, एकादशरथ - पिता), विष्णु ४.४.७५(मूलक - पुत्र, इलिविल - पिता), ४.४.८६ (दशरथ वंश का वर्णन), ४.१२.४१(नवरथ - पुत्र, शकुनि - पिता, विदर्भ वंश), ४.२४.३०(सुयशा - पुत्र, संयुत - पिता, मौर्य वंश), स्कन्द २.४.२५.२४ (पूर्व जन्म में धर्मदत्त विप्र), २.८.७ (पुत्र प्राप्त्यर्थ दशरथ कृत पुत्रकामेष्ट यज्ञ का वर्णन), ६.९६ (अजापाल - पुत्र, शनि का रोहिणी शकट भेदन से वर्जन करना), ६.९८ (पुत्रहीन होने के कारण शक्र द्वारा दशरथ का अपमान, दशरथ द्वारा पुत्रार्थ तप, विष्णु द्वारा वर), ७.१.४९ (दशरथ द्वारा रोहिणी शकट भेदन को उद्धत शनि का वर्जन, स्तुति, वर प्राप्ति), ७.१.१७१ (दशरथ द्वारा स्थापित लिङ्ग का माहात्म्य), वा.रामायण १.७.२० (दशरथ के आठ मन्त्रियों के गुणों का वर्णन), २.९.१५ (शम्बर - देवगण युद्ध में दशरथ द्वारा देवों की सहायता, कैकेयी को वर), २.६४.१३ (सरयू तट पर वैश्य जातीय तापस / श्रवण कुमार के वध का प्रसंग), ६.११९.७ (रावण वध के पश्चात् राम - लक्ष्मण से मिलन हेतु दशरथ का इन्द्रलोक से आगमन), लक्ष्मीनारायण १.४२५.७(धर्मदत्त विप्र द्वारा कलहा को पुण्यदान करने से जन्मान्तर में दशरथ बनना तथा कलहा का कैकेयी बनना), १.४९६.५४(दशरथ द्वारा रोहिणी की शकट का भेदन करने वाले शनि का वर्जन, शनि से वर प्राप्ति), १.४९६.७०(दशरथ की इन्द्र से मैत्री, इन्द्र द्वारा अपुत्रवान् दशरथ के आसन का प्रक्षालन सुनकर दशरथ द्वारा पुत्र प्राप्ति का उद्योग), महाभारत भीष्म ६२.२१(कौरव पक्ष के १० महारथियों का पाण्डव पक्ष के १० महारथियों से युद्ध ) । dasharatha Comments on Dasharatha by Dr. Fatah Singh प्राणमय कोश का पुरुष , जो पांच ज्ञानेन्द्रियों और पांच कर्मेन्द्रियों से युक्त है , दशरथ राजा बन सकता है यदि इन दसो को उसने श्रेष्ठ बना लिया हो । जब मनोमय कोश में विज्ञानमय की शक्ति प्रविष्ट होती है , अन्य शब्दों में, जब मनुष्य की चेतना एक इकाई बन जाती है , तब वह राम रूप पुत्र की प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ करता है । आनन्दमय कोश का आत्मा राम है , विज्ञानमय कोश का आत्मा शृङ्गी (सत् और चित् उसके दो शतङ्ग हैं) है । मनोमय कोश की शान्त बुद्धि राजा की कन्या शान्ता है । उसी शान्ता का विवाह शृङ्गी ऋषि से होता है जो पुत्रेष्टि यज्ञ सम्पन्न करता है । आनन्दमय कोश का ईश्वर चार रूपों में दशरथ अर्थात् मनोमय पुरुष के यहां अवतरित होता है ।
दशहरा नारद १.११९.८ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी : दशहरा लग्न हेतु दश योग, दस पाप हरण से दशहरा नाम, जाह्नवी में स्नान का महत्त्व), २.४३.४२ (गङ्गा दशहरा : ज्येष्ठ शुक्ल दशमी, गङ्गा पूजा विधि), स्कन्द ४.१.२७.१३५ (गङ्गा दशहरा स्तोत्र व माहात्म्य), ४.२.५२.९० (दशहरा तिथि को दशाश्वमेध तीर्थ में स्नान का माहात्म्य), लक्ष्मीनारायण १.२७५.५(ज्येष्ठ शुक्ल दशमी का गङ्गा दशहरा नाम ) । dashahara
दशानन ब्रह्मवैवर्त्त ४.१२.२४ (दशानन - वधकर्ता कृष्ण से आग्नेय दिशा में रक्षा की प्रार्थना), वामन ५७.८५ (कुटिला द्वारा कार्तिकेय को प्रदत्त दस गणों में से एक ) । dashaanana
दशाफल नारद १.११७.१५ (दशाफल व्रत विधि व माहात्म्य ) ।
दशार्ण अग्नि ११७.५४(एक देश), गर्ग ७.२७.८ (दशार्ण देश के शुभाङ्ग राजा द्वारा प्रद्युम्न की आधीनता स्वीकार करना, दशार्ण तीर्थ में स्नान से प्रह्लाद का ऋण से मुक्त होना), ब्रह्माण्ड १.२.१६.६४(विन्ध्य पृष्ठ निवासियों के जनपदों में से एक), भविष्य ४.७५.१९(दशार्ण देश के पश्चिम स्थित मरु देश में वणिक् व प्रेत का वार्तालाप, वणिक् द्वारा गया में किए गए श्राद्ध से प्रेतों की मुक्ति), वायु ४५.१३२ (विन्ध्य पृष्ठ के निवासियों के जनपदों में से एक), स्कन्द ३.३.१०(ऋषभ शिवयोगी की सेवा से मन्दर नामक विषयी ब्राह्मण का दशार्ण अधिपति वज्रबाहु के पुत्र रूप में जन्म), ३.३.१३(दशार्ण देशस्थ वज्रबाहु की मगधराज से पराजय तथा राज्य - च्युति), ६.१४(गोरक्षक के दशार्णाधिपति के कुल में जन्म का वर्णन), ६.१९६, ६.२६६(चोर का पुण्य प्रभाव से दशार्णाधितिपति के कुल में जन्म, राज्य प्राप्ति), हरिवंश १.२१.१८(वाहदुष्ट, क्रोधन प्रभृति ७ कौशिक पुत्रों की दशार्ण देश में व्याध रूप में उत्पत्ति), योगवासिष्ठ ३.३७.५२ (दशार्ण देश की सेना का कामरूप देश की भूत - पिशाच सेना से युद्ध ) । dashaarna/ dasharna
दशार्णा ब्रह्माण्ड १.२.१६.३०(ऋक्षवान् पर्वत से नि:सृत नदियों में से एक), २.३.१३.१००(श्राद्ध हेतु प्रशस्त स्थानों में से एक), मत्स्य २२.३४(उत्तम पितृ तीर्थों में से एक), वायु ४५.९९(ऋक्षवान् पर्वत से नि:सृत नदियों में से एक ) ।
दशार्ह भागवत ९.२४.३(निर्वृति - पुत्र, व्योम - पिता, विदर्भ वंश), मत्स्य ४४.४० (निर्वति/विदूरथ - पुत्र, व्योम - पिता, विदर्भ वंश), वायु ९५.४०/ २.३३.४०(निर्वति - पुत्र, व्योमा - पिता, विदर्भ वंश), हरिवंश २.६३.२३(द्वारका में यादवों की सभा के दाशार्ही नाम का उल्लेख ) । dashaarha/ dasharha
दशाश्वमेध पद्म ३.२०.२० (दशाश्वमेध तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य), ३.२६.१२(कुरुक्षेत्र में दशाश्वमेध तीर्थ के माहात्म्य का कथन), ब्रह्म २.१३ (भौवन राजा द्वारा गौतमी तट पर अन्न दान से निर्मित तीर्थ), स्कन्द २.३.२.२४ (दशाश्वमेधिक तीर्थ का वर्णन ; प्रयाग में दशाश्वमेध तीर्थ में अग्नि द्वारा ऋषियों से सर्वभक्षित्व दोष से मुक्ति के उपाय की पृच्छा), ४.२.५२(दिवोदास - पालित काशी में ब्रह्मा द्वारा अनुष्ठित दस यज्ञों का स्थान), ४.२.५२.६९ (ब्रह्मा द्वारा काशी में दशाश्वमेध तीर्थ की स्थापना का वृत्तान्त, दशाश्वमेध का माहात्म्य ), ४.२.८३.८३ (दशाश्वमेध तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य), ५.१.१७ (दशाश्वमेध तीर्थ का माहात्म्य ), ५.३.१८० (दशाश्वमेध तीर्थ का माहात्म्य : गौरमुख द्विज का तप, वाजिमेध के पश्चात् भोजन की कथा, सरस्वती का स्नानार्थ आगमन), ५.३.२३१.२०(तीर्थ संख्या के अन्तर्गत २ दशाश्वमेध तीर्थों का उल्लेख), ७.१.२३४ (दशाश्वमेध तीर्थ का माहात्म्य, भरत द्वारा दस अश्वमेधों का अनुष्ठान), लक्ष्मीनारायण १.८४.४७(शिव द्वारा दिवोदास के राज्य में छिद्रान्वेषण हेतु प्रेषित ब्रह्मा का दशाश्वमेधेश लिङ्ग की स्थापना कर काशी में ही निवास )१.३४५.८(मथुरा के पश्चिम् में दशाश्वमेध तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य ) । dashaashvamedha/ dashashvamedha
दशाह शिव ६.२१ (यति के अन्त्येष्टि कर्म की दशाहपर्यन्त विधि का वर्णन ) । dashaaha
दस्यु पद्म ७.१९(भगवदर्थ वस्तु समर्पण के माहात्म्य के अन्तर्गत दस्युवृत्तिधारी उर्वीश ब्राह्मण का वृत्तान्त), ब्रह्माण्ड १.२.३२.१०८(दस्युमान् : ३३ श्रेष्ठ आङ्गिरसों में से एक, मन्त्रकृत् ऋषि), भागवत ५.१४.१(६ इन्द्रियों की दस्यु संज्ञा), विष्णु ५.३८.१३(यदुवंशी स्त्रियों की रक्षा करते हुए अर्जुन की दस्युओं द्वारा पराजय ) ; द्र. त्रसद्दस्यु। dasyu
दस्र द्र. अश्विनौ, नासत्य ।
दहन मत्स्य ५१.३४ (महिमान अग्नि - पुत्र, दहन द्वारा पाक यज्ञों में हवि का भक्षण, अद्भुत - पिता), १७१.३९(११ रुद्रों में से एक), स्कन्द ७.४.१७.२३ (दहनप्रिय : कृष्ण देव के निर्ऋति दिशा के रक्षकों में से एक ) । dahana
दह्राग्नि भागवत ४.१.३६(अगस्त्य के जन्मान्तर में दह्राग्नि होने का उल्लेख ) ।
दाक्षी मत्स्य १९६.२५(आङ्गिरस कुल के एक ऋषि, त्र्यार्षेय प्रवर), १९७.६(अत्रि वंशज एक प्रवर ) ।
दाडिम नारद १.९०.७१(दाडिम द्वारा देवी पूजा से निधि सिद्धि का उल्लेख), पद्म १.२८ (दाडिम वृक्ष : भार्याप्रद), स्कन्द २.२.४४.६(संवत्सर व्रत में श्री हरि को प्रदान करने योग्य फलों में से एक ) । daadima
दात वायु ९६.१३७(निदात : शूर के १० पुत्रों में से एक ) ।
दाता ब्रह्माण्ड ३.४.१.१९(प्रथम सावर्णि मन्वन्तर में २० सुखदेव गण में से एक), वायु १००.१८/२.३८.१८(प्रथम सावर्णि मन्वन्तर के २० मुख्य देव गण में से एक ) ।
दात्यायनी स्कन्द ५.३.१६९.७(राज्ञी, देवपन्न - भार्या, कामप्रमोदिनी - माता ) । |