पुराण विषय अनुक्रमणिका

PURAANIC SUBJECT INDEX

(From Tunnavaaya   to Daaruka )

Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar)

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Tunnavaaya - Tulaa ( words like Tumburu, Turvasu, Tulasi, Tulaa/balance etc.)

Tulaa - Triteeyaa (Tushaara, Tushita, Tushti/satisfaction, Trina/straw, Trinabindu, Triteeya/third day etc. )

Triteeyaa - Taila  (Trishaa/thirst, Trishnaa/craving, Teja/brilliance, Taittira, Taila/oil etc.)

Taila - Trayyaaruna ( Tondamaana, Torana, Toshala, Tyaaga, Trayee, Trayodashee, Trayyaaruna etc.)

Trasadashva - Tridhanvaa  ( Trasadasyu, Trikuuta, Trita, Tridhanvaa etc.)

Tridhaamaa - Trivikrama  (Trinetra, Tripura, Trivikrama etc. )

Trivishta - Treeta (Trivishtapa, Trishanku, Trishiraa, Trishtupa etc.)

Tretaa - Tvishimaan (Tretaa, Tryambaka, Tvaritaa, Twashtaa etc.)

Tvishta - Daksha ( Danshtra/teeth, Daksha etc. )

Daksha - Danda (Daksha, Dakshasaavarni, Dakshina/south/right, Dakshinaa/fee,   Dakshinaagni, Dakshinaayana etc. )

Danda - Dattaatreya (Danda/staff, Dandaka, Dandapaani, Dandi, Dattaatreya etc.)

Dattaatreya - Danta ( Dattaatreya, Dadhi/curd, Dadheechi/Dadhichi, Danu, Danta/tooth etc.)

Danta - Damayanti ( Danta / teeth, dantakaashtha, Dantavaktra / Dantavakra, Dama, Damana, Damaghosha, Damanaka , Damayanti etc. )

Damee - Dashami  ( Dambha/boasting, Dayaa/pity, Daridra/poor, Darpana/mirror, Darbha,  Darsha, Darshana, Dashagreeva etc.)

Dasharatha - Daatyaayani (Dashami/tenth day, Dasharatha, Dashaarna, Dashaashvamedha etc. )

Daana - Daana ( Daana)

Daanava - Daaru (Daana, Daama, Daamodara etc.)

 

 

Puraanic contexts of words like Tushaara, Tushita, Tushti/satisfaction, Trina/straw, Trinabindu, Triteeya/third day etc. are given here.

तुवर वायु ६२.१२४(तुम्बर, तुवर आदि जातियों की वेन कल्मष से उत्पत्ति का उल्लेख ) ।

 

तुषार ब्रह्माण्ड २.३.७४.१७२(कलियुग में १४ तुषार राजाओं द्वारा राज्य का उल्लेख), मत्स्य १२१.४५(चक्षु नदी द्वारा प्लावित जनपदों में से एक), १४४.५७(प्रमति अवतार द्वारा हत जनपदों के वासियों में से एक), २७३.१९(कलियुग में १४ तुषार राजाओं का उल्लेख), वायु ४५.११८(उत्तर के देशों में से एक), ४७.४४(चक्षु नदी द्वारा प्लावित जनपदों में से एक), ५८.८३(प्रमति अवतार द्वारा हत जनपद वासियों में से एक), ९८.१०८/२.३६.१०८(कल्कि अवतार द्वारा हत जनपदों के वासियों में से एक), ९९.३६०/२.३७.३५४(कलियुग में १४ तुषार राजाओं के राज्य करने का उल्लेख ) । tushaara

 

तुषित पद्म १.७ (स्वारोचिष मन्वन्तर के देवगण), ब्रह्माण्ड २.३.३.२० (तुषित नामक देवगण के प्राण, अपानादि नाम) भागवत ४.१.८ (स्वायम्भुव मन्वन्तर में यज्ञपुरुष व दक्षिणा से उत्पन्न तोष, प्रतोष, संतोष, भद्र, शान्ति, इडस्पति, इध्म, कवि, विभु, स्वह्न, सुदेव व रोचन नामक बारह पुत्रों के तुषित नामक देव होने का उल्लेख), ८.१.२० (स्वारोचिष मन्वन्तर के प्रधान देवगण), ८.१.२१ (स्वारोचिष मन्वन्तर में वेदशिरा नामक ऋषि की पत्नी तुषिता के गर्भ से भगवान् द्वारा विभु रूप में अवतार ग्रहण), मत्स्य ६.३ (तुषित देवगण का वैवस्वत मन्वन्तर में द्वादश आदित्य बनना), वायु ६६.१७ ( देवगण ; प्राण, अपान, चक्षु, श्रोत्र आदि नाम), विष्णु १.१५.१२६ (चाक्षुष मन्वन्तर के तुषित नामक १२ देवगणों की वैवस्वत मन्वन्तर में १२ आदित्यों के रूप में प्रसिद्धि), स्कन्द ५.२.८२.३५(दक्ष के यज्ञ में भद्रकाली आदि देवियों से युद्ध में तुषित देवों का विदेह होना, कायावरोहण लिङ्ग पूजा से पुन: देह प्राप्ति), हरिवंश १.३.६२ (चाक्षुष मन्वन्तर के तुषित देवों के ही वैवस्वत मन्वन्तर में द्वादश आदित्य होने का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण १.७९.२२(तारा हेतु देवासुर सङ्ग्राम में तुषित देवों की उत्पत्ति?), २.१८१.३२ (तुषित नामक देव को कन्या - शाप से राक्षसत्व प्राप्ति, श्रीहरि के स्पर्श से शाप से मुक्ति), ३.५३.१०० (जय नामक देवों की तुषित संज्ञा ) । tushita

 

तुषिता ब्रह्माण्ड १.२.३६.८(स्वारोचिष मन्वन्तर में क्रतु व तुषिता के तुषित गण संज्ञक १२ देवों के नाम), २.३.३.११(स्वारोचिष मन्वन्तर के तुषित देवगण का चाक्षुष मन्वन्तर में साध्य देवगण के रूप में जन्म लेना), २.३.३.११४ (स्वारोचिष मन्वन्तर में श्रीहरि की तुषिता में अजित नाम से समुत्पत्ति), वायु ६२.८/२.१.८(स्वारोचिष मन्वन्तर में क्रतु व तुषिता के तुषित देव पुत्रों के नाम), ६७.३५/२.६.३५(स्वारोचिष मन्वन्तर के तुषिता से उत्पन्न देवगण के पूर्व और अपर मन्वन्तरों में जन्मों का कथन), विष्णु ३.१.३७(स्वारोचिष मन्वन्तर में तुषिता से उत्पन्न तुषित देवगण के पूर्व व अपर मन्वन्तरों में जन्मों का वृत्तान्त ) । tushitaa

 

तुष्क लक्ष्मीनारायण २.५७.७५ (कालकर्ण द्वारा तुष्क दैत्य का वध ) ।

 

तुष्ट ब्रह्माण्ड १.२.१९.४६(तुष्टा : शाल्मलि द्वीप की ७ प्रधान नदियों में से एक), वायु ९६.१३२/२.३४.१३२(युद्धतुष्ट : उग्रसेन के कंस - प्रधान ९ पुत्रों में से एक ) । tushta

 

तुष्टि देवीभागवत ७.३०.७७ (विश्वेश्वर क्षेत्र में देवी की तुष्टि नाम से स्थिति), ९.१.२० (परमात्म - भक्ति के तुष्टि, पुष्टि आदि होने का उल्लेख), ९.१.१०२ (अनन्त - पत्नी), नारद १.६५.२८(चन्द्रमा की १६ कलाओं में से एक), १.६६.८७ (मातृका न्यास के अन्तर्गत तुष्टि के साथ माधव के न्यास का उल्लेख), ब्रह्मवैवर्त्त १.९.१०(दक्ष व प्रसूति - कन्या, चन्द्रमा - भार्या, हर्ष व दर्प - माता), २.१.१०६ (अनन्त - पत्नी, तुष्टि के विना समस्त लोक की असन्तुष्टता का उल्लेख), ब्रह्माण्ड १.१.९.४९(दक्ष व प्रसूता - पुत्री, धर्म की पत्नियों में से एक), १.१.९.५९(सन्तोष - माता), २.३.७१.१३३(उग्रसेन के कंस - प्रधान ९ पुत्रों में से एक), २.३.७१.१७२(वसुदेव व मदिरा के पुत्रों में से एक), ३.४.१९.७१(गेय चक्र के चतुर्थ पर्व पर की शक्तियों में से एक), ३.४.३५.९२(चन्द्रमा की कलाओं में से एक), ३.४.४४.७१(५१ वर्णों के गणेशों की शक्तियों में से एक), भागवत ४.१.७(तुषित देवगण के अन्तर्गत तोष, प्रतोष, संतोष आदि नामों का उल्लेख, तुष्टि - पुत्र), ४.१.४९(दक्ष - पुत्री, धर्म - पत्नी, मुद - माता), ९.२४.२४ (तुष्टिमान् : उग्रसेन के ९ पुत्रों में से एक), मत्स्य २३.२४(तुष्टि द्वारा पति धाता को त्याग सोम की शरण में जाने का उल्लेख), वायु १०.२५(दक्ष व प्रसूता - पुत्री, धर्म की पत्नियों में से एक), १०.३४(लाभ - माता), विष्णु १.७.२३ (दक्ष व प्रसूति की २४ कन्याओं में से एक, सन्तोष - माता), १.८.१९ (श्रीविष्णु व लक्ष्मी की अभिन्नता प्रदर्शक उपमाओं में विष्णु को सन्तोष तथा लक्ष्मी को तुष्टि कहना), लक्ष्मीनारायण १.३८२.२०(विष्णु के संतोष व लक्ष्मी के तुष्टि होने का उल्लेख), १.३८२.१८२(मरीचि की ४ कन्याओं में से एक), २.१४०.८३(मानस तुष्टि प्रासाद के लक्षण) । tushti

 

तुहिन पद्म ६.६.२२ (वल असुर के एक अङ्ग के तुहिनाद्रि पर गिरने का उल्लेख )

 

तुहुण्ड वामन ६८.२५ (अन्धक - सेनानी, गणेश से युद्ध), स्कन्द ५.१.५७ (तुहुण्ड दानव की शान्ति हेतु देवों का महाकाल वन में शिप्रा तट पर जाना), ५.२.१६ (मुण्ड - पुत्र, देवों पर विजय ) ।

 

तूणीर विष्णुधर्मोत्तर १.६६.१०(शिव द्वारा परशुराम को अक्षय सायकों वाले तूण प्रदान करने का कथन ; परशुराम द्वारा कार्यसिद्धि के पश्चात् अगस्त्य को तूण प्रदान), कथासरित् ८.३.७७ (भुजङ्ग की तूणीर रूपता, सूर्यप्रभ को तूणरत्न की सिद्धि ) । tuuneera /tooneera/ tunira

 

तूबरक महाभारत कर्ण ६९.७३(तूबरक/ दाढी - मूंछ रहित कहने पर भीमसेन के कुपित होने का उल्लेख ) ।

 

तूल लक्ष्मीनारायण ३.२०३ (तूलवायि नामक सूत्रवायक द्वारा हरि भक्ति से मोक्ष प्राप्ति की कथा), कथासरित् १०.५.२८ (मूर्ख तूलिक / रुई विक्रेता की कथा ) । toola /tuula

 

तृण मत्स्य १९६.१३(तृणकर्णि : त्र्यार्षेय प्रवरों के सन्दर्भ में एक ऋषि तृणकर्णि का उल्लेख), शिव ७.२.२.५० (दैत्यजित् होने के सम्बन्ध में देवों के परस्पर विवाद करने पर यक्ष रूप धारी शिव द्वारा तृण की सहायता से समाधान), स्कन्द २.२.४४.६ (तृणराज : विष्णु की १२ मूर्तियों की क्रमश: १२ मासों में पूजा हेतु निर्धारित १२ फलों में से एक), २.२.४५ (दमनक नामक तृण की उत्पत्ति की कथा), ४.१.२१.४० (तृणों में कुश की श्रेष्ठता), हरिवंश २.८०.३० (तृणराज /ताड फल सदृश पीन स्तनों की प्राप्ति हेतु व्रत का कथन), कथासरित् १.६.६३ (चतुरिका वेश्या का सामवादी ब्राह्मण को सुवर्णतृण / अत्यल्प स्वर्ण लौटाना ) । trina

 

तृणञ्जय ब्रह्माण्ड ३.४.४.६३(तृणञ्जय द्वारा कृतञ्जय से ब्रह्माण्ड पुराण सुनकर भरद्वाज को सुनाने का उल्लेख), वायु १०३.६३/२.४२.६३(तृणञ्जय द्वारा कृतञ्जय से वायु पुराण सुनकर भरद्वाज को सुनाने का उल्लेख ) । trinanjaya

 

तृणबिन्दु देवीभागवत १.३.३२ (२४वें द्वापर में व्यास), पद्म २.३९.४ (रेवा तट पर तृणबिन्दु ऋषि के आश्रम में वेन द्वारा तप), ब्रह्माण्ड १.२.३५.१२३(२३वें द्वापर में वेदव्यास के रूप में तृणबिन्दु का उल्लेख), २.३.८.३७(११वें मन्वन्तर में बुध - पुत्र, अलम्बुषा - पति, इडविडा - पिता), ३.४.४.६४(तृणबिन्दु द्वारा सोमशुष्म से ब्रह्माण्ड पुराण सुनकर दक्ष को सुनाने का उल्लेख), भागवत ९.२.३० (बन्धु - पुत्र, अलम्बुषा - पति , इडविडा - पिता, दिष्ट वंश), मत्स्य  १९३.१३ (शापदग्ध तृणबिन्दु ऋषि की तीर्थ प्रभाव से शाप से मुक्ति), लिङ्ग १.२४.१०७ (२३वें द्वापर में व्यास), वायु २३.२०३/१.२३.१९१(२३वें द्वापर में तृणबिन्दु नामक व्यास के काल के शिव अवतार व अवतार - पुत्रों के नाम), ७०.३० (राजर्षि तृणबिन्दु द्वारा स्वकन्या इडविला को पुलस्त्य को देना, इडविला व पुलस्त्य से विश्रवा की उत्पत्ति), १०३.६४/२.४२.६४(वायु पुराण के श्रोता - वक्ता की शृङ्खला में तृणबिन्दु का उल्लेख), विष्णु ३.३.१७(२३वें द्वापर में व्यास के रूप में तृणबिन्दु का उल्लेख), ४.१.४६(बुध - पुत्र, दिष्ट वंश, इलविला - पिता, पत्नी अलम्बुषा से प्रचलित वंश का वर्णन), शिव ३.५.३३ (२३वें द्वापर में व्यास), स्कन्द ७.१.१३८ (तृणबिन्दु लिङ्ग का माहात्म्य), वा.रामायण ७.२.७ (तृणबिन्दु के आश्रम में पुलस्त्य मुनि का तप, मुनि के दृष्टिपथ में आगमन से तृणबिन्दु - कन्या द्वारा गर्भधारण, तृणबिन्दु द्वारा कन्या मुनि को प्रदान, कन्या से विश्रवा के जन्म का वर्णन), महाभारत शल्य ६१.४६(पाण्डवों के मृगया हेतु तृणबिन्दु के आश्रम को जाने पर जयद्रथ द्वारा द्रौपदी को क्लेश पहुंचाने का उल्लेख ) । trinabindu

 

तृणावर्त गर्ग १.१४ (कृष्ण द्वारा तृणावर्त का उद्धार, पूर्व जन्म में राजा सहस्राक्ष होने का वृत्तान्त), ब्रह्मवैवर्त्त ४.११ (कृष्ण द्वारा तृणावर्त का मोक्ष), भागवत १०.७.२० (कंस के सेवक तृणावर्त नामक दैत्य द्वारा बवंडर रूप से कृष्ण को उडाना, तृणावर्त के उद्धार की कथा ) । trinaavarta

 

तृतीया अग्नि १७८.२ (चैत्र शुक्ल तृतीया में करणीय गौरी - शंकर पूजन व न्यासादि का वर्णन), १७८.२७ (चैत्र में दमनक तृतीया तथा मार्गशीर्ष में आत्म तृतीया व्रत का कथन - दमनकतृतीयाकृत्चैत्रे दमनकैर्यजेत् । आत्मतृतीया मार्गस्य प्रार्च्येच्छाभोजनादिना ॥), कूर्म २.४२.२२/२.४०.१५ (शुक्ल पक्ष की तृतीया में कन्या तीर्थ में स्नान का उल्लेख), गरुड १.११६.४ (तृतीया तिथि में त्रिदेव, गौरी - विघ्नेश - शंकर पूजा - तृतीयायां त्रिदेवाश्च गौरीविघ्नेशशङ्कराः ॥), १.१२० (रम्भा तृतीया व्रत का वर्णन), १.१२९.४ (विभिन्न मासों में तृतीयाव्रतविधि का कथन), देवीभागवत ८.२४.३७ (द्वादश मासों की शुक्ल तृतीया तिथियों में देवी को नैवेद्य अर्पण का विधान), नारद १.११२ (तृतीया तिथि के व्रतों का वर्णन : गौरी पूजा, रम्भा व्रत, अक्षय तृतीया, विष्णु गौरी व्रत आदि), १.११२.४५(आश्विन् शुक्ल तृतीया को बृहद् गौरी तृतीया व्रत की विधि), २.२३.७० (तृतीया को लवण का वर्जन - लवणे तु तृतीयायां सप्तम्यां पिशिते शुभे ।।), पद्म १.२२.१०६ (माघ शुक्ल तृतीया में करणीय रस कल्याणिनी व्रत का विधान), १.२९.३२ (चैत्र शुक्ल तृतीया में सौभाग्य शयन व्रत, गौरी - शंकर न्यास), ५.३६.७१ (वैशाख शुक्ल तृतीया में सीता की शुद्धि परीक्षा), भविष्य १.२१ (विभिन्न मासों में गौरी तृतीया व्रत विधि का वर्णन), ४.२५.२५(चैत्र तृतीया को सौभाग्याष्टकव्रत की विधि), ४.२५+ (विभिन्न तृतीया व्रतों का माहात्म्य), मत्स्य ६०.३३ (चैत्र शुक्ल तृतीया : सौभाग्यशयनव्रत में सती - शिव की आराधना व न्यास), ६२ (अनन्त तृतीया व्रत : ललिता न्यास, मास अनुसार पुष्प द्वारा पूजा), ६३ (रस कल्याणिनी तृतीया व्रत : ललिता न्यास, मासों में भक्ष्याभक्ष्य), ६४ (आर्द्रानन्दकरी तृतीया : शिव - पार्वती न्यास), ६५ (वैशाख शुक्ल तृतीया : अक्षय तृतीया व्रत, विष्णु पूजा), विष्णुधर्मोत्तर १.२२९.४ (वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया का संक्षिप्त माहात्म्य), ३.२२१.१८(तृतीया तिथि को पूजनीय देवताओं के नाम तथा फल), शिव ५.५१.५४ (विभिन्न मासों की तृतीया तिथि में करणीय व्रत तथा उनका माहात्म्य), स्कन्द २.१.२९.५१ (वैशाख शुक्ल तृतीया : विष्णु को गन्ध लेपन), ३.२.१८.११७ (माघ कृष्ण तृतीया : श्यामला द्वारा कर्णाटक दैत्य का वध), ४.१.४९.८१ (चैत्र शुक्ल तृतीया : मङ्गला गौरी की पूजा), ४.२.७०.६ (भाद्रपद कृष्ण तृतीया : विशालाक्षी देवी के समक्ष जागरण), ४.२.७०.४१ (चैत्र शुक्ल तृतीया : चित्रघण्टा आदि की पूजा), ४.२.७५.६७ (राध तृतीया को त्रिलोचन लिङ्ग की पूजा), ४.२.८०.८ (मनोरथ तृतीया को विश्वभुजा देवी की पूजा, शची द्वारा मनोरथ तृतीया व्रत का चीर्णन), ४.२.८२.१३७+ (अभीष्ट तृतीया व्रत की विधि व माहात्म्य, मित्रजित् - पत्नी मलयगन्धिनी द्वारा पुत्र प्राप्ति हेतु व्रत का चीर्णन), ४.२.९०.२२ (चैत्र शुक्ल तृतीया : पार्वतीश लिङ्ग की अर्चना), ५.२.४६.१२८ (मार्गशीर्ष शुक्ल तृतीया में करणीय अभीष्ट तृतीया व्रत का वर्णन), ५.३.२६.१०५ (तृतीया तिथि में लवण प्रदान से पति तथा सौभाग्य प्राप्ति का उल्लेख), ५.३.२६.१३४ (चैत्र शुक्ल तृतीया में करणीय दुःख व दौर्भाग्य नाशक मधूकतृतीयाव्रत विधि का वर्णन), ५.३.१०६.९ (कामद तीर्थ में ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया में पञ्चाग्नि सेवन से सम्पूर्ण पापों के नाश का उल्लेख), ६.४२+ (चैत्र शुक्ल तृतीया : विश्वामित्र व मेनका का आख्यान), ६.१३० (मार्गशीर्ष शुक्ल तृतीया :शाण्डिली द्वारा याज्ञवल्क्य - पत्नी कात्यायनी को बोध), ६.१३०.३५ (गौरी द्वारा स्थापित पञ्च पिण्ड पूजा), ६.१५३.४८(चैत्र शुक्ल तृतीया : रूप तीर्थ का माहात्म्य, तिलोत्तमा की कथा), ६.१७८ (श्रावण कृष्ण तृतीया : पद्मावती द्वारा उमा - महेश्वर पूजा से विष्णु - पत्नी लक्ष्मी बनना), ७.१.५७ (माघ तृतीया : सौभाग्य प्राप्ति हेतु गौरी व्रत), ७.१.९८.१८( भाद्रपद कृष्ण तृतीया   को धरित्री लिङ्ग पूजा से अश्वमेधफल प्राप्ति), ७.१.११६ (माघ तृतीया : शङ्खोदक तीर्थ में कुण्डेश्वरी की पूजा), ७.१.१२० (चैत्र शुक्ल तृतीया : गोपीश्वर लिङ्ग की पूजा), ७.१.१२४ ( माघ शुक्ल तृतीया : सौभाग्य प्रदायक गौरी की पूजा), ७.१.१५७ (माघ तृतीया : सत्यभामेश्वर लिङ्ग की पूजा), ७.१.१८५ (माघ तृतीया : वडवा विग्रह रूप में सरस्वती पूजा), ७.१.२६१ (वैशाख शुक्ल तृतीया :न्यङ्कुमती नदी में स्नान), ७.१.२६५ (चैत्र शुक्ल तृतीया : कनकनन्दा देवी की पूजा), ७.१.२८७ (अजापालेश्वरी देवी की पूजा), ७.१.२९१ (चैत्र तृतीया : भद्रकाली की पूजा), ७.१.३४८ (श्रावण शुक्ल तृतीया : मन्त्र विभूषणा गौरी की पूजा), ७.३.१२.४(माघ शुक्ल तृतीया : रूप तीर्थ में स्नान), लक्ष्मीनारायण १.२०५.५३(वागधिष्ठातृदेवी या सरस्वती तृतीयका ।), १.२६८ (१२ मासों की तृतीया तिथि में करणीय विभिन्न व्रतों का वर्णन), १.३१० (पुरुषोत्तम मास में द्वितीय पक्ष की तृतीया तिथि में किए गए व्रत के प्रभाव से राजा व रानी को दिव्य शरीर की प्राप्ति), १.४८६.३ (चैत्र शुक्ल तृतीया : मध्याह्न सूर्यवार के प्रभाव से जल में प्राण त्याग करने पर मृगी के मेनका नामक अप्सरा बनने का उल्लेख), १.५००.५८ (माघ शुक्ल तृतीया :शनिवार के प्रभाव से कर्णोत्पला को नदी में स्नान से दिव्य रूप की प्राप्ति), १.५०१.११५ (वैशाख तृतीया में कात्यायन द्वारा वास्तु पूजा, वास्तु पूजा से दोष शान्ति), २.१२३.३० (ओबीरात्रीश नदी के सङ्गम पर तृतीय यज्ञ का आयोजन, पौष कृष्ण तृतीया तिथि में समारम्भ तथा नवमी में समापन का उल्लेख), २.२२१.५६ (आश्विन कृष्ण तृतीया को श्रीहरि के बाल्यरज नृप की राजधानी में गमन आदि का वर्णन), २.२४०.८ (वीतिहोत्र महायोगी का मार्गशीर्ष तृतीया में हरि दर्शनार्थ अश्वपट्ट सरोवर पर आगमन), ३.१०३.३ (तृतीया तिथि में स्वर्ण , गो आदि के दान से श्रेष्ठ वाजि प्राप्ति का उल्लेख - तृतीयायां तथा दत्वा लभते श्रेष्ठवाजिनः ।।), ४.६१.६६ (चैत्र शुक्ल तृतीया में सारहास मण्डलवर्ती लोगों को मुक्ति प्राप्ति), ४.७०.१८ (वैशाख शुक्ल तृतीया में लोमश ऋषि का आगमन व संहिता पूजन ) । triteeyaa/ tritiya

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