पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (From Tunnavaaya to Daaruka ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar)
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Puraanic contexts of words like dantakaashtha, Dantavaktra / Dantavakra, Dama, Damana, Damaghosha, Damanaka etc. are given here. दन्तकाष्ठ गरुड १.११७ (मासानुसार दन्तकाष्ठों के नाम), १.१२० (रम्भा तृतीया व्रत के अन्तर्गत मासानुसार दन्तकाष्ठों के नाम), १.२०५.४८ (दन्तकाष्ठ हेतु प्रशस्त काष्ठों के नाम), देवीभागवत ११.२.३७ (दन्तकाष्ठ का मन्त्र), नारद १.२७.२५ (दन्तकाष्ठ का मन्त्र तथा परिमाण), भविष्य १.१९३.७ (दन्तकाष्ठों के प्रकार ; भिन्न - भिन्न दन्तकाष्ठों से दन्तधावन करने पर भिन्न - भिन्न फलों की प्राप्ति), मत्स्य ५६.८ (दन्तपवन : कृष्ण अष्टमी व्रत में दन्तकाष्ठ का विधान), स्कन्द ४.१.३५.७६ (दन्तकाष्ठ मन्त्र विधान), ४.२.८०.४१ (मास अनुसार दन्तकाष्ठों के नाम), ७.१.१७.८ (विभिन्न दन्तकाष्ठों का महत्त्व, दन्तधावन में ग्राह्य - अग्राह्य काष्ठ का निर्णय), ७.१.२५.२२ (विभिन्न सोमवार व्रतों में भिन्न - भिन्न दन्तकाष्ठों का प्रयोग ) । dantakaashtha
दन्तवक्त्र / दन्तवक्र गर्ग ६.६.४० (कृष्ण व रुक्मिणी विवाह में दन्तवक्र की बलराम से पराजय, वक्र दन्त का पतन), ७.१०.३२ (वृद्धशर्मा व श्रुतदेवा - पुत्र, प्रद्युम्न सेना से युद्ध व पराजय), ७.११(श्रीकृष्ण के पुत्रों द्वारा दन्तवक्र का वध), पद्म ६.२५२.२१ (कृष्ण द्वारा दन्तवक्त्र का वध), ब्रह्माण्ड २.३.७१.१५६(वृद्धशर्मा व श्रुतदेवा - पुत्र, करूषाधिपति), ३.४.२९.१२२(भण्डासुर के असुरास्त्र से उत्पन्न नृपों में से एक), भविष्य ३.२.१.९(कर्णाटक का भूपति, पद्मावती - पिता), भागवत ७.१.३२ (दन्तवक्र : जय - विजय का जन्मान्तर में रूप), ७.१०.३८(वही), ९.२४.३७(दिति - पुत्र, ऋषि शाप से श्रुतदेवा व वृद्धशर्मा के पुत्र रूप में उत्पन्न होने का उल्लेख), १०.७८ (करूष नरेश, गदा युद्ध में कृष्ण द्वारा उद्धार), वायु ९६.१५५(वृद्धशर्मा व श्रुतदेवा - पुत्र, करूषाधिपति), विष्णु ४.१४.४०(वृद्धधर्मा व श्रुतदेवा - पुत्र, कारूष अधिपति), हरिवंश २.३६.३ (दन्तवक्र का शङ्कु से युद्ध), २.४९ (रुक्मिणी स्वयंवर प्रसंग में दन्तवक्र द्वारा कृष्ण के प्रभाव का कथन ) । dantavakra/dantavaktra
दन्तिल स्कन्द २.७.१७.४८ (मतङ्ग मुनि - पुत्र, शाप से क्रोध रूपी सिंह बनना , वैशाख धर्म श्रवण से मुक्ति ) । दन्तोग्नि शिव ७.१.१७.२५(पुलस्त्य व प्रीति - पुत्र, पूर्व जन्म में अगस्त्य ) ।
दन्दशूक भागवत ५.२६.७, ३३(२८ नरकों में से एक), ६.६.२८(क्रोधवशा से उत्पन्न सर्प आदि की संज्ञा ) ।
दम पद्म १.१९.२९० (सप्तर्षियों द्वारा दम के महत्त्व का वर्णन), २.१२.७७(दम की मूर्ति का स्वरूप), २.१३.२७ (दम का लक्षण), ५.८४.५८ (पुष्प रूप, श्रीहरि की पूजा के आठ पुष्पों में से एक), ब्रह्माण्ड १.२.९.६० (क्रिया व धर्म - पुत्र), १.२.३६.५५(आभूतरय वर्ग के १२ देवों में से एक), १.२.३६.५७(तामस मन्वन्तर के वैकुण्ठ वर्ग के १४ देवों में से एक), २.३.६१.८(नरिष्यन्त - पुत्र, विज्ञात - पिता), भागवत ९.२.२९(मरुत्त - पुत्र, राज्यवर्धन - पिता), ९.१९.३६(दम की परिभाषा : इन्द्रिय संयम), ११.१९.३६(इन्द्रिय संयम रूप में दम का उल्लेख), मत्स्य १४५.४९ (दम के लक्षण), १९५.३६(भार्गवों का एक आर्षेय प्रवर), मार्कण्डेय १३३/१३० (नरिष्यन्त व इन्द्रसेना - पुत्र, दशार्णाधिपति चारुकर्मा की कन्या सुमना द्वारा स्वयंवर में दम का वरण, महानन्द व वपुष्मान् प्रभृति राजपुत्रों की सुमना पर आसक्ति, दम का महानन्द व वपुष्मान से युद्ध, दोनों का वध, दम व सुमना का विवाह), १३४.१८/१३१.१८(वपुष्मान् द्वारा शत्रु दम के पिता नरिष्यन्त का वध), १३६/१३३ (दम का पितृघाती वपुष्मान् से युद्ध व वध), वायु ६९.१६०/ २.८.१५५(मणिवर व देवजनी के गुह्यक पुत्रों में से एक), ७०.३०/ २.९.३० (ऋष्यन्त - पुत्र), ८६.१२/२.२४.१२(नरिष्यन्त - पुत्र, विक्रान्त - पिता), १००.१८/ २.३८.१८ (सावर्णिक मन्वन्तर के २० मुख्य/सुख वर्ग के देवों में से एक), विष्णुधर्मोत्तर ३.२६४ (दम की प्रशंसा), शिव २.१.१८.५३ (अरिन्दम - पुत्र, पूर्व जन्म में गुणनिधि, अगले जन्म में कुबेर), स्कन्द ४.१.१३ (अरिन्दम - पुत्र, पूर्व जन्म में दुष्ट चरित्र गुणनिधि, दीप दान से कल्याण, अगले जन्म में कुबेर), ५.३.२८.१८(दम की शिवरथ के रथध्वज में स्थिति), हरिवंश १.१०.३२(नरिष्यन्त - पुत्र), लक्ष्मीनारायण १.१६५.१६ (अङ्गिरस व सुरूपा के १० आङ्गिरस पुत्रों में से एक), २.२१७.३९(दम गुण की प्रशंसा), महाभारत वन ३१३.८७(यक्ष - युधिष्ठिर संवाद में मन के दमन का नाम दम होने का उल्लेख), उद्योग ४३.२३(दम के १८ गुणों/दोषों के नाम), ६३.९(विदुर द्वारा दुर्योधन को दम की महिमा का वर्णन), शान्ति १६०(युधिष्ठिर - भीष्म संवाद में दम के महत्त्व का वर्णन), २२०.१(दम के पालन से उपलब्ध गुणों संतोष, अक्रोध आदि का वर्णन), २५१.११(सत्य का उपनिषत् दम व दम का दान होने का उल्लेख), कथासरित् ८.५.८३(विद्याधर, श्रुतशर्मा - सेनानी), १२.३.३० (दमधि : श्रुतधि - पिता, पुत्र के छलपूर्ण व्यवहार से कुपित दमधि द्वारा पुत्र को शुष्क वृक्ष होने का शाप प्रदान, शाप से मुक्ति के उपाय का कथन ), कृष्णोपनिषद १६(उद्धव दम का रूप), द्र. अरिन्दम, किंदम, दुर्दम, श्रीदामा ।dama Short remarks by Dr. Fatah Singh जब मन से दुर्भावनाओं का दमन हो जाता है तब वह व्यक्तित्व दम: (घर ) कहलाता है ।
दमघोष गर्ग ७.७+ (चेदि - अधिपति, श्रुतिश्रवा - पति, शिशुपाल - पिता, प्रद्युम्न सेना से पराजय), ब्रह्माण्ड २.३.७१.१५९(श्रुतश्रवा - पति, शिशुपाल - पिता), भागवत ९.२४.३९(श्रुतश्रवा - पति, शिशुपाल - पिता), हरिवंश २.४३ (चेदिराज, कृष्ण व बलराम का मार्गदर्शन ) ; द्र. कामदमन । damaghosha
दमन पद्म ५.१४.३२ (राक्षस दमन द्वारा भृगु - पत्नी का हरण, च्यवन द्वारा भस्म करना), ५.२३+(सुबाहु - पुत्र, राम के अश्व का बन्धन, शत्रुघ्न - सेना से युद्ध), ५.६५.६३(सुबाहु - पुत्र, राम के हयमेध अश्व को पकडना आदि), ब्रह्माण्ड २.३.७१.१६५(वसुदेव व रोहिणी के ८ पुत्रों में से एक), ३.४.२५.९४ (भण्डासुर - सेनानी, कामेशी द्वारा वध), भविष्य ४.६४.१७ (पुरोहित, दमयन्ती को पुन: पति प्राप्ति के लिए आशादशमी व्रत का परामर्श), ४.९०.३६ (अनङ्ग त्रयोदशी व्रत विधि के अन्तर्गत कार्तिक मास में दमन फल के प्राशन का उल्लेख), मत्स्य ४६.१२(वसुदेव व रोहिणी के ८ पुत्रों में से एक), १९६.२(अङ्गिरा व सुरूपा के १० पुत्रों में से एक), लिङ्ग १.२४.२१ (तृतीय द्वापर में शिव का दमन मुनि के रूप में अवतार), वायु २३.१२३(तीसरे द्वापर में ईश्वर का एक अवतार), ९६.१६३/ २.३४.१६३ (वसुदेव व रोहिणी के ८ पुत्रों में से एक), वायु १०६.३६/२.४४.३६ (ब्रह्मा के गयासुर के शरीर पर किए गए यज्ञ का एक मानस ऋत्विज), शिव ३.४.१४(तृतीय द्वापर में शिव द्वारा दमन नाम से अवतार ग्रहण), दमन स्कन्द २.२.४५ (दमन भञ्जिका यात्रा : दमन दैत्य के वध से उत्पन्न तृण, हिरण्यकशिपु की अन्त्रमाला का रूप), ४.२.७४ (भरद्वाज - पुत्र, गर्ग द्वारा दमन को ओंकार के माहात्म्य का कथन), ४.२.९४.२ (भारद्वाज - पुत्र, गर्ग से काशी माहात्म्य का श्रवण), ५.१.५०.२ (दुष्ट राजा, मांस खण्ड शिप्रा में गिरने से मुक्ति), हरिवंश १.३५.५(वसुदेव व रोहिणी - पुत्र), लक्ष्मीनारायण २.१२.३(दमन राजा द्वारा लोमश आश्रम में स्थित कन्याओं के अपहरण का उद्योग, लोमश प्रयुक्त स्तम्भन मन्त्र से जडी भाव को प्राप्ति ), २.५७.७५(यमराज द्वारा दमन असुर का विनाश ) । damana
दमनक अग्नि ८० (दमनक वृक्ष आरोपण विधि ; शिव द्वारा शप्त भैरव का रूप), पद्म ६.८४ (चैत्र शुक्ल द्वादशी को दमनक उत्सव का वर्णन), भविष्य ४.१३३ (दमनक वृक्ष : गन्ध से उन्मत्तता के कारण ब्रह्मा का शाप व वरदान), स्कन्द २.२.३८.११६ (दमनक दैत्य का मत्स्यावतार द्वारा हनन, तृणों का सुगन्धित होना), लक्ष्मीनारयण ३.६३.८९(चैत्र शुक्ल एकादशी को कामदेव के निवास स्थान दमनक वृक्ष के पूजन का कथन), कथासरित् १०.४.१९(शृगाल, पिङ्गलक - मन्त्री ) । damanaka दमयन्ती गरुड ३.१६.९५(दमयन्ती की अनल से उत्पत्ति, अपर नाम इन्द्रसेना, द्रौपदी से साम्य?), देवीभागवत ६.२६.१७, ६.२७ (सञ्जय व कैकेयी - पुत्री, नारद मुनि पर आसक्ति, वानर मुख नारद से विवाह, नारद द्वारा सुन्दर रूप की प्राप्ति), भविष्य ३.४.१६.७३(आकाशवाणी द्वारा दमयन्ती - पति नल के वास्तविक नल न होकर अनल ब्राह्मण होने का कथन), शिव ३.२८.३०(शिव के वरदान स्वरूप भिल्ली का जन्मान्तर में विदर्भ देश में भीमराज - पुत्री दमयन्ती होना), स्कन्द ३.३.८.२० (दमयन्ती के रूप की विशिष्टता का उल्लेख), ६.१११ (आनर्त्त अधिपति - पत्नी, ब्राह्मण - पत्नियों को सस्पृहा दान से ब्राह्मणों का पतन, ब्राह्मणों के शाप से शिला बनना), लक्ष्मीनारायण १.४९८(चमत्कारपुर के राजा की पत्नी, मकर संक्रान्ति पर विप्र पत्नियों को आभूषण दान करने पर विप्रों का गति भ्रष्ट होना, विप्रों के शाप से शिला बनना, माधवी द्वारा शिला स्पर्श से पुन: रूप प्राप्ति), कथासरित् ९.६.२३९(निषधराज नल तथा विदर्भदेशीय भीमराज - कन्या दमयन्ती की कथा ) । damayantee/damayanti |