पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (From Tunnavaaya to Daaruka ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar)
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Puraanic contexts of words like Daana, Daama, Daamodara etc. are given here. दानव गरुड २.१०.७(दानवों का भोजन मांस होने का उल्लेख), पद्म १.६.४८(दनु वंशीय दानवों का कथन), भविष्य ३.४.१८.९ (विप्रचित्ति आदि ८४ दानवों का उल्लेख), मत्स्य १९.९ (पितरों हेतु प्रदत्त श्राद्धान्न के दैत्य योनि में भोग रूप में तथा दनुज योनि में माया रूप में परिवर्तित होने का उल्लेख), विष्णुधर्मोत्तर ३.११९.१२ (यज्ञ कर्म के समारम्भ में दानवों की पूजा? का उल्लेख), स्कन्द १.२.१३.१८० (शतरुद्रिय प्रसंग में दानवों द्वारा निष्पाव लिङ्ग की पूजा का उल्लेख), हरिवंश १.३.८९(कश्यप व दनु से उत्पन्न दानवों का वर्णन), लक्ष्मीनारायण २.२१०.९५(दानवर्षि का उल्लेख ) ; द्र. उपदानवी । daanava/danav
दान्त पद्म ७.१७(दान्त गुरु के उपदेश से भद्रतनु नामक ब्राह्मण को भगवद्भक्ति तथा सस्यत्व प्राप्ति का वृत्तान्त), ब्रह्माण्ड १.२.३६.२७(उत्तम मन्वन्तर में १२ सुदामा देवों में से एक), २.३.७१.१३८(निदान्त : शूर के १० पुत्रों में से एक), वायु ९६.१३७(निदात : शूर के १० पुत्रों में से एक), महाभारत उद्योग ४३.२५(दान्त की परिभाषा), लक्ष्मीनारायण १.४९८.४१(पत्नियों के दोषों के कारण गति भ्रष्ट न होने वाले ४ विप्रों में से एक), कथासरित् ९.६.२९४(दान्त नामक वृष की प्राप्ति हेतु नल द्वारा भ्राता पुष्कर के साथ द्यूत क्रीडा, नल की पराजय ) । daanta
दाम ब्रह्माण्ड ३.४.१.१८(२० संख्या वाले सुखदेव गण में से एक), योगवासिष्ठ ४.२५+ (दाम - व्याल – कट का आख्यान), लक्ष्मीनारायण ३.२१५( दामशिलाद नामक भक्त शिलागर द्वारा भृत्यों की सहायता से भूमि से शिलाओं का खनन, शिलाओं का भक्ति के अनुरूप नामकरण, शिला के नीचे भृत्यों के दबने पर कृष्ण द्वारा साधु वेश में भृत्यों की चिकित्सा ) ; द्र. सुदामा । daama
दामा पद्म ५.७०.२०(दामा प्रत्यय वाले कृष्ण-पार्षदों की दिशा सापेक्ष स्थिति)
दामिनी लक्ष्मीनारायण २.१३.७(दैत्य संहार पर शोकपीडित दैत्य पत्नियों में से एक), २.१४.७३(दामिनी द्वारा सुदर्शन चक्र का निगरण, सुदर्शन द्वारा भेदन, दामिनी का पतन), २.१४.८०(दामिनी राक्षसी द्वारा अग्नि उत्पन्न कर लोमश आश्रम के दाह का प्रयास, बालाहकी महालक्ष्मी द्वारा वृष्टि रूप होकर रक्षा, दामिनी का वध ); द्र. सौदामिनी । daaminee/damini
दामोदर अग्नि ३०५.११ (रैवतक गिरि पर विष्णु का दामोदर नाम), गर्ग १.१९(यमलार्जुन के उद्धार की कथा), नारद १.६६.८९(पद्मनाभ की श्रद्धा व दामोदर की शक्ति लज्जा का उल्लेख), पद्म ४.२०(राधा - दामोदर पूजन का कथन), ६.१२०.६९(दामोदर से सम्बन्धित शालग्राम शिला के लक्षणों का कथन - दामोदरस्तथा स्थूलो मध्ये चक्रं प्रतिष्ठितम्। दूर्वाभं द्वारसंकीर्णं पीतरेखं तथैव च ), ब्रह्माण्ड ३.४.३४.८३(पद्मनाभ द्वारा अनुलोम व दामोदर द्वारा विलोम वेष्टन का कथन), भागवत ६.८.२२ (पद्मनाभ से निशीथ व दामोदर से अनुसन्ध्य/ सूर्योदय से पूर्व रक्षा की प्रार्थना), १०.१०.२७(यमलार्जुन के उद्धार की कथा), वराह १.२७ (दामोदर से शिर की रक्षा की प्रार्थना), विष्णु ५.६.२०(उलूखल से बद्ध कृष्ण द्वारा यमलार्जुन के उद्धार व दामोदर नाम प्राप्त करने की संक्षिप्त कथा), स्कन्द २.५.१०.२२(भगवान् द्वारा दामोदर नाम प्राप्ति के कारण का कथन), ४.२.६१.२१९ (दामोदर की मूर्ति के लक्षण), ५.३.१४९.११(आश्विन् में पद्मनाभ व कार्तिक में दामोदर नाम से विष्णु के अर्चन का निर्देश), ७.२.१.८९ (रैवतक गिरि पर दामोदर का माहात्म्य : राजा गज व भद्र का संवाद), ७.२.१५.३४ (दामोदर माहात्म्य का वर्णन), लक्ष्मीनारायण १.१४२.७८(रैवत पर्वत पर दामोदर रूप धारी श्रीहरि के महत्त्व का वर्णन : सुवर्णा नदी रूपी पत्नी द्वारा दामोदर की सेवा आदि), १.२६१.१० (कार्तिक शुक्ल एकादशी को दामोदर की पूजा), २.२६१.३० (दामोदर शब्द की निरुक्ति : दमन, दान, मोद के अर्थों में), कथासरित् ८.१.१३९(विद्याधर, आषाढेश्वर - पुत्र), ८.४.४०(विद्याधरराज, श्रुतशर्मा - सेनापति), ८.५.३(श्रुतशर्मा - सेनापति, सेना में चक्रव्यूह का निर्माण), ८.५.७०(श्रुतशर्मा - सेनानी कालकोप की दामोदर के क्षेत्र में शनैश्चर से उत्पत्ति), ८.७.३३(दामोदर का प्रभास से युद्ध), ८.७.४५(हरि का अंश, प्रभास से युद्ध), महाभारत शान्ति ३४१.४४/३५०.३९(दामोदर की निरुक्ति : दम से द्युलोक, अन्तरिक्ष व भूमि पर सिद्धि ) । daamodara/damodara
दारा लक्ष्मीनारायण २.९७.५६(दार लिङ्गायन : ऋषि, श्रीहरि से वात प्रकोप से स्वरक्षा के वृत्तान्त का कथन), ४.६.२३(दाराभाग्यनगर में श्रीशील - पुत्र सुशील नामक द्विज का आगमन, लक्ष्मीनारायण संहिता कथा का वाचन ) । daaraa/dara
दारु ब्रह्माण्ड १.२.२७ (दारु वन : ऋषियों के शाप से शिव लिङ्ग पतन का स्थान), भविष्य १.५७.१८(गणाधिप हेतु दारु बलि का उल्लेख), विष्णुधर्मोत्तर ३.८९ (गृह निर्माण हेतु वन में दारु की परीक्षा का वर्णन), स्कन्द १.१.६(दारु वन में शिव का भिक्षार्थ भ्रमण, मुग्ध ऋषि पत्नियों द्वारा शिव का अनुगमन),२.२.४ (इन्द्रद्युम्न द्वारा पुरुषोत्तम की दारुमय प्रतिमा की स्थापना), २.२.४.७३ (दारु शब्द की निरुक्ति : द्यति संसार दु:खानि ददाति सुखमव्ययम्), २.२.२१.१४(ब्राह्मण द्वारा दारु वपु धारी विष्णु की महिमा का कथन), २.२.२४(आकाशवाणी द्वारा पद्मनिधि को दारु मूर्ति की स्थापना का निर्देश), २.२.२८ (दारु देवता का पूजन व माहात्म्य), २.२.२९ (भगवान द्वारा दारु देह से इन्द्रद्युम्न को वर), ५.१.३०.५१(दारु/काष्ठ की तम से उपमा), ५.३.३० (दारु तीर्थ का माहात्म्य), ५.३.३६ (पिता द्वारा शापित मातलि का अवतार, दारु तीर्थ का माहात्म्य), ५.३.३८.६ (दारु वन का माहात्म्य : ब्राह्मणों के शाप से शिव के लिङ्ग पतन की कथा), ६.११७(तक्षक द्वारा मुक्त भट्टिका का दारु पर्वत पर गमन, अग्नि में प्रवेश, देवों द्वारा स्तवन), योगवासिष्ठ ६.२.१९६ (दारु विक्रय से जीवन - यापन करने वाले काष्ठ हारकों द्वारा चिन्तामणि प्राप्त करने का दृष्टान्त), लक्ष्मीनारायण १.१९६.७(दारुवन में भिक्षार्थ विचरण करते हुए नग्न शिव को देखकर ऋषि - पत्नियों का विचलित होना, विप्रों द्वारा दर्भशलाका आदि द्वारा शिव के लिङ्ग का ताडन, लिङ्ग के पातन से ज्योतिर्लिङ्गों के प्रादुर्भाव का वृत्तान्त), १.५६२.६१(दारु वन में स्थित व्याघ्रेश्वर लिङ्ग की उत्पत्ति की कथा), १.५७४.३५(दारुक द्वारा रेवा तट पर स्थित दारु वन में तप से विष्णु का सारथी बनने का वर प्राप्त करना ) ; द्र. काष्ठ, देवदारु । daaru |